इसे कहते हैं माल मियां का और मिर्ज़ा खेले होली। मुझे पता नहीं झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी का इसमें क्या योगदान है? पैसा एनएलयू बैंगलोर के एल्यूमिनी छात्रों का। रियायती दर पर जहाज़ दिया एयरएशिया ने।1/8 https://twitter.com/IndiaToday/status/1265854015851556864">https://twitter.com/IndiaToda...
झारखंड सरकार तो पोर्टब्लेयर और पूर्वोत्तर राज्यों से मज़दूरों को जहाज़ से लाने की बात कर रही थी। और मज़दूर जहाज़ से आ रहे मुंबई से। पूर्वोतर वाले तो खुद के पैसे से बस में ठूंस-ठूंस कर आ गये और आ भी रहे हैं। 2/8
लाकडाउन में पहला ट्रेन तेलंगाना से झारखंडी मज़दूरों को लेकर राँची भिजवाने में मंत्री श्री किशन रेडडी जी की मदद से तेलंगाना सरकार और एलएंडटी ने सफल प्रयास किया । वे सारे मजदूर वहाँ एल एंड टी के रेल प्रोजेक्ट में काम कर रहे थेI झारखण्ड सरकार को उस दिन पता भी नहीं था, 3/8
इसलिए किराया भुगतान करने का सवाल भी नहीं थाI झारखण्ड के पास प्रवासियों का न तो कोई डाटा था न कोई एप्प I सरकार को यह भी पता नहीं था कि ट्रेन में जो लोग आ रहे हैं, उनका सेलेक्शन किसने किया और किस आधार पर किया ? 4/8
पर जैसे ही पहली रेल राँची के लिये चलने की सूचना मिली तो हमारे मुख्यमंत्री जी अपने पूरे लाव लश्कर के साथ दल-बल समेत रेड कार्पेट बिछवाकर आगंतुक मज़दूरों का स्वागत करने हटिया स्टेशन पंहुच गये। 5/8
इसी दरम्यान मुख्यमंत्री के बड़े बड़े कटआउट वाले स्वागती होर्डिंग लगा दिये गये। मानो किसी ज्योतिषी ने आसन्न कोरोना, लोकडाउन और उसके बाद आने वाली प्रवासी संकट की भविष्यवाणी कर दी हो। इसी वजह से कोरोना की बीमारी आने और लाकडाउन लगाने के काफ़ी पहले से ही होर्डिंग बनाकर रखा गये हो? 6/8
क्योंकि लाकडाउन में तो होर्डिंग बनाने वाले कारख़ाने और दुकानें तो बंद थी। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि ये जो पब्लिक है न वो सब जानती है। 7/8
बोलती कम है लेकिन समय पर माकूल जवाब ज़रूर देती है। झारखंड के पिछले अनुभव भी यही कहते हैं। 8/8
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