अब्दुल नाम के एक सच्चे मुसलमान ने दो काफिरों को मार दिया और उसके बाद सेना की गोली से वो भी मर गया.. मरने के बाद उसकी रूह ऊपर की बजाय नीचे की तरफ उड़ने लगी और वो तरह तरह के हूरों के सपने देखने लगा...!

आखिर एक किले के पास पहुंचा .. वहाँ अल्लाह खड़ा था दरवाजे पर.. 1/न
अल्लाह: आ गए काफिरो की हत्या करके?
अब्दुल: हाँ हाँ आ गए ..कहाँ है हूरों वाला कमरा?
अल्लाह: क्यूँ ? हूर क्यूँ चाहिए?
अब्दुल:- अरे तूने ही तो कहा था कि काफिरो को मारने वाले को जन्नत में हूर दोगे?
अल्लाह : मैंने कहा था? आज से पहले मेरा चेहरा देखा था कभी तुम ने ?
अब्दुल :- नहीं ?
अल्लाह :- तो मैंने कैसे कह दिया ?
अब्दुल :- वो .. वो तेरा ही लिखा किताब कुरआन तो है उसमे लिखा है ..
अल्लाह :- मेरी हैण्डराइटिंग पहचानता है तू ?
अब्दुल :- नहीं ?
अल्लाह :- ..तो वो मेरा लिखा है कैसे पता चला?
अब्दुल :- या अल्लाह ई तो हमरे साथ ब्लंडर मिस्टेक हो रहा है ..
अरे सब तुम्हारा मौलवी मौलाना यही कहता था हलाल करो, गाय काटो, रेप कर दो, काफिर मारो,तब जन्नत मिलती है..!

अल्लाह :- अबे चुप कर कुत्ते की औलाद .. साला ऐसा करने वालों को कोई हरामी होगा जो जन्नत देगा …समझा .. इतना दिमाग नहीं था..!
अब्दुल:- क्या मतलब.. हूर नहीं मिलेगी?
अल्लाह:- कमीने मैं लड़की सप्लाई करता हूँ? मैं रेड लाइट का दलाल हूँ क्या?
यहाँ तेरे जैसे को ऐसा ऐसा तडपा तडपा के जिन्दा भूनते हैं कि हर जन्म में तू कराहते रहेगा और कुत्ता बन कर जन्म लेगा ..
अब्दुल :- क्या ? अल्लाह जी बचा लो मुझे .. बचा लो..
अल्लाह :- अबे चुप भूतनी के .. वैसे मैं अल्लाह नहीं हूँ ये नाम तुम लोगों ने दिया पर उस किताब को मैंने ही लिखा था..उस किताब को लिखने के जुर्म में तो यहाँ भगवान् जी मुझे 1400 सालों से इस नरक का दरवाजे पर दरबान की ड्यूटी करवा रहे हैं ….!
चल जा अन्दर.. अभी पहली सजा में यहाँ तेरे को लोग हलाल विधि से एक एक अंग काटेंगे .. और पूछेंगे हलाल से मजा मिलता है की नहीं ?
अब्दुल :- अल्लाह .. तूने तो मार ली ..
(और अब्दुल दो भीमकाय यमदूतों को आते देख अब्दुल की गान फट गई..! )
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